09 सितंबर 2016

मेरी पत्नी विधवा हो गयी

एक गांव में एक आधा पागल इंसान रहता था । गांव के कुछ आदमियों ने उस पागल के माध्यम से मजाक उत्सव मनाने का विचार किया । उन्होंने उस पागल को शराब पिला दी । और उसके बाद उस पागल के प्रिय मित्र को उसके पास सिखाकर भेज दिया ।
पागल का मित्र उसके पास जाते ही जोर जोर से रोने लगा ।
और बेहद सहानुभूति से उससे बोला - भाई, अभी अभी तेरे घर से आ रहा हूँ । बङे दुख की बात है । तेरी स्त्री विधवा हो गयी ।
इस पर वह पागल भी ‘मेरी औरत विधवा हो गयी’ कह कहकर जोर जोर से रोने लगा ।
अन्त में मजाक खूब हो जाने पर किसी ने पागल से पूछा - भाई, तुम क्यों रोते हो ?
पागल बोला - मेरी पत्नी विधवा हो गयी है । इसलिये रो रहा हूँ ।
वह बोला - यह कैसे हो सकता है । तुम जीते जागते हो और कह रहे हो कि मेरी स्त्री विधवा हो गयी । जब तक (उसके पति) तुम नही मरते । वह विधवा कैसे हो सकती है ? तुम मरे नहीं और तुम ही अपनी औरत के विधवा होने का शोक कर रहे हो । यह बङी अजीब बात है न ?
पागल बोला - तुम्हारी बात ठीक है । पर हमारे इस सबसे विश्वासी मित्र ने बताया है और अभी अभी ये मेरे घर से ही आ रहा है । इसकी बात गलत कैसे हो सकती है ? ये अपनी आँखों से उसे विधवा देख कर आया है ।
तुम तो कहते हो, सच मेरे भाई ।
पर घर से आया है, मोत्वर नाई ।
(यह दृष्टांत क्या कहता है ?)

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सत्यसाहिब जी सहजसमाधि, राजयोग की प्रतिष्ठित संस्था सहज समाधि आश्रम बसेरा कालोनी, छटीकरा, वृन्दावन (उ. प्र) वाटस एप्प 82185 31326