06 जनवरी 2014

भूत प्रेत सब बकवास है

तुमने खयाल किया । अनेक लोग हैं । जो भूत प्रेत को इनकार करते हैं । सिर्फ डर के कारण । तुम्हारा उनसे परिचय होगा ..कि नहीं नहीं, कोई भूत प्रेत नहीं । लेकिन जब वे कहते हैं - नहीं नहीं कोई भूत प्रेत नहीं । जरा उनके चेहरे पर गौर करो ।
1 महिला 1 बार मेरे घर मेहमान हुई । उसे ईश्वर में भरोसा नहीं । वह कहे - ईश्वर है ही नहीं । मैंने कहा - छोड़ ईश्वर को, भूत प्रेत को मानती है ? उसने कहा - बिलकुल नहीं ! सब बकवास है ।
मैंने कहा - तू ठीक से सोच ले । क्योंकि आज मैं हूं । तू है । और यह घर है । भगवान को तो मैं नहीं कह सकता कि तुझे प्रत्यक्ष करवा सकता हूं । लेकिन भूत प्रेत का करवा सकता हूं ।
उसने कहा - आप भी कहां की बातें कर रहे हैं । भूत प्रेत होते ही नहीं । लेकिन मैं देखने लगा । वह घबड़ाने लगी । वह इधर उधर देखने लगी । रात गहराने लगी ।
मैंने कहा - फिर ठीक है । मैं तुझे बताये देता हूं ।
उसने कहा - मैं मानती ही नहीं । आप क्या मुझे बतायेंगे ? मैं बिलकुल नहीं मानती । मैंने कहा - मानने न मानने का सवाल नहीं है । यह घर जिस जगह बना है । यहां कभी 1 धोबी रहता था । पहले महायुद्ध के समय । उसकी नई नई शादी हुई । बड़ी प्यारी दुल्हन घर आयी । और सब तो सुंदर था दुल्हन का । एक ही खराबी थी कि कानी थी । गोरी थी बहुत । सब अंग सुडौल थे । बस 1 आंख नहीं थी ।
उसका चित्र मैंने खींचा । धोबी को युद्ध पर जाना पड़ा । पहले ही महायुद्ध में भरती कर लिया गया । चिट्ठियां आती रहीं - अब आता हूं । तब आता हूं । और धोबिन प्रतीक्षा करती रही । करती रही । करती रही । वह कभी आया नहीं । वह मारा गया युद्ध में । धोबिन उसकी प्रतीक्षा करते करते मर गयी । और प्रेत हो गयी । और अभी भी इसी मकान में रहती है । और प्रतीक्षा करती है कि शायद धोबी लौट आये । एक ही उसकी आंख है । गोरी चिट्टी औरत है । काले लंबे बाल हैं । लाल रंग की साड़ी पहनती है ।
वह मुझसे कहे - मैं मानती ही नहीं । मगर मैं देखने लगा कि वह घबड़ाकर इधर उधर देखने लगी । मैंने कहा - मैं तुझे इसलिये कह रहा हूं कि तू पहली दफ़ा नई इस घर में रुक रही है आज रात । इस घर में जब भी कोई नया आदमी रुकता है । तो वह धोबिन रात आकर उसकी चादर उघाड़ कर देखती है कि कहीं धोबी लौट तो नहीं आया ?
तो उसके चेहरे पर पीलापन आने लगा । उसने कहा - आप क्या बातें कह रहे हैं ? आप जैसा बुद्धिमान आदमी भूत प्रेत में मानता है ।
मैंने कहा - मानने का सवाल ही नहीं है । लेकिन तुझे चेताना भी जरूरी है । नहीं तो डर जायेगी ज्यादा । अब तेरे को मैंने बता दिया है । अगर कोई कानी औरत, गोरी चिट्टी, लाल साड़ी में तेरी चादर हटा दे । तो तू घबड़ाना मत । वह नुकसान किसी का कभी नहीं करती । चादर पटक कर पैर पटकती हुई वापस चली जाती है । और 1 लक्षण और उसका मैं बता दूं ।
जिनके घर में उन दिनों मेहमान था । उनको रात दांत पीसने की आदत है । रात में वे कोई 10-5  दफा दांत पीसने लगते हैं । तो मैंने कहा - उस औरत की 1 आदत और तुझे बात दूं । जब वह आयेगी कमरे में । तो दांत पीसती हुई आती है । स्वभावत: कितनी प्रतीक्षा करे ? जमाने बीत गये । उस औरत का प्रेम है । क्रोध से भरी आती है । धोबी धोखा दे गया । अब तक नहीं आया । तो वह दांत पीसती है । तुझे दांत पीसने की आवाज सुनाई पड़ेगी पहले ।
उसने कहा - आप क्या बातें कर रहे हैं ? मैं मानती ही नहीं । आप बंद करें यह बातचीत । आप व्यर्थ मुझे डरा रहे हैं ।
मैंने कहा - तू अगर मानती ही नहीं । तो डरने का कोई सवाल ही नहीं । ऐसी बात चलती रही । और रात 12 बज गये । तब मैंने उसको कहा - अब तू जा । कमरे में सो जा । वह कमरे में गयी । संयोग की बात । वह कमरे में लेटी कि उन सज्जन ने दांत पीसे । वह बगल के कमरे में सो रहे थे । मुझे पक्का भरोसा ही था । उन पर आश्वासन किया जा सकता है । 10 दफे तो वे पीसते ही हैं रात में कम से कम । वे पीसेंगे कभी न कभी । वह जाकर बिस्तर पर बैठी । प्रकाश बुझाया । और उन्होंने दांत पीसे । चीख मार दी उसने । मैं भागा, पहुंचा । प्रकाश जलाया । वह तो बेहोश पड़ी है । और कोने की तरफ मुझे बता रही है -वह खड़ी है । उसको मैंने लाख समझाया कि कोई भूत प्रेत नहीं होता । उसने कहा - अब मैं मान ही नहीं सकती । होते कैसे नहीं ? वह सामने खड़ी है । और जो आपने कहा था - 1 आंख, गोरा चिट्टा रूप, काले बाल, लाल साड़ी और दांत पीस रही है ।
रात भर परेशान होना पड़ा मुझे । क्योंकि वह न सोये । न सोने दे । वह कहे - अब मैं सो ही नहीं सकती । अब मैं सोऊंगी । वह फिर आयेगी । और आप कहते हैं - चादर उठायेगी । इतने पास आ जायेगी ? मैं उसको कहूं कि कहीं भूत प्रेत होते हैं ? सब कल्पना में । मैं तो कहानी कह रहा था तेरे से । तुझे सिर्फ...।
उसको तो रात बुखार आ गया । रात को डाक्टर बुलाना पड़ा । और जिनके घर मैं मेहमान था । वे कहने लगे कि आप भी फिजूल के उपद्रव खड़े कर लेते हैं । वह महिला दूसरे दिन सुबह चली गयी । फिर कभी नहीं आयी । उसको मैंने कई दफे खबर भिजवाई कि भई ! कभी तो आओ । वह कहे कि उस घर में पैर नहीं रख सकती हूं । मैं उसको समझाऊं । कहीं भूत प्रेत होते हैं ? वह कहे - आप छोड़ो यह बात । किसको समझा रहे हैं ? मुझे खुद ही अनुभव हो गया ।
खयाल करना अक्सर ऐसा हो जाता है कि तुम जिस चीज से डरते हो । उसको इनकार करते हो । इनकार इसीलिये करते हो । ताकि तुम्हें यह भी याद न रहे कि मैं डरता हूं । है नहीं । तो डरना क्या है ? ओशो 

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सत्यसाहिब जी सहजसमाधि, राजयोग की प्रतिष्ठित संस्था सहज समाधि आश्रम बसेरा कालोनी, छटीकरा, वृन्दावन (उ. प्र) वाटस एप्प 82185 31326