27 अक्तूबर 2013

मुझे सत्यकीखोज से प्यार है..लेकिन

हालांकि मेरी सम्पूर्ण शिक्षा स्कूल के पीछे ही हुयी है । फ़िर भी मुख्य मु्ख्य तौर पर मैं जानता हूँ कि - सबसे बङी शक्ति गुरुत्व है । इसीलिये स्थूल रूप में देहधारी गुरु का स्थान सबसे उच्च है । इसके बाद चुम्बकत्व है । इसको स्थूल रूप में कृष्ण ( कर्षण शक्ति ) रूप से दर्शाया जाता है । इसके बाद गतित्व है । इसको स्थूल रूप में राम ( चेतना या रमत्व ) रूप में दर्शाया जाता है । इसके बाद देवत्व है । जिसको स्थूल रूप में विभिन्न योगत्व ( योग क्रियायें ) की स्थितियों उपाधियों द्वारा दर्शाया जाता है । इसके बाद सबसे नीचे जीवत्व है । जिसे स्थूल रूप में मनुष्य और विभिन्न 84 लाख योनियों के रूप में जाना जाता है । सामान्य जीवधारियों के लिये यही जीवत्व दृश्य और ज्ञात है । क्या आप भौतिक विज्ञान या आध्यात्म विज्ञान में इस कृमवद्ध श्रंखला के अतिरिक्त कुछ और बता सकते हैं । क्योंकि कुछ और है ही नहीं । और इन सबसे निर्लेप निर्विकार आत्मा ( परमात्मा ) से यह .. गुरुत्व - चुम्बकत्व - गतित्व - देवत्व - जीवत्व..सब कुछ उसकी मूल प्रकृति में समाहित है । सोचिये ! अगर मैं बाकायदा स्कूल में पढता । तो क्या होता ?
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सत्यकीखोज से मुझे प्यार है । क्योंकि मुझे वैश्विक स्तर पर इसी मंच से अच्छे लोग मिलें । और मैं बहुत कुछ यहीं से देना भी चाहता हूँ । पर मैंने हमेशा कहा - एक

जीवन बचाना, उसमें उमंगे पैदा करना, उसे जीवन्त धाराओं की तरफ़ मोङना । और हो सके तो उद्धार पर चला देना । तुलनात्मक इसके बहुत अच्छा है कि मैं विद्वता पूर्ण दस लेख लिखूँ । एक जीव को चेताने का पुण्य फ़ल भी सृष्टि के किसी भी अन्य पुण्य कर्म फ़ल से बहुत अधिक है । ऐसे ही जीवन्त उदाहरणों में से ये एक है । ये विदेशी लङकी अकेलेपन की गहन निराशा अवसाद में अभी परसों ही आत्महत्या जैसा विचार बना चुकी थी । आप पढकर देखें ।
Today I come here to express a deep desire to end my life ? I have done everything to end the pain associated with what happened! It has left me to feel unworthy of ever finding love, trust, and as much as I try to move forward what seems to have happened has held me captive to feeling I have lost myself. I know what a 

special women, lady, mother, I am but seems my dream of finding love has deserted me, left me disillusioned that it will never be found ? So that alone makes me feel there is not much to look forward too ? So what's the use ?? I hate having nothing to look forward too ?

फ़िर उसी दिन उसका मुझसे संवाद हुआ । संवाद आदि ( उसके ) व्यक्तिगत होने के कारण नहीं रख रहा । और अब इसके विचार देखें । इसने बङे आशा पूर्ण कई मैसेज अपने फ़ेसबुक वाल पर पोस्ट किये हैं ।

I wonder when being alone will feel like the norm for me. I have this intimate feeling that the man of my dreams is not for this life ? I feel this life is simply for learning about myself so my next life will bring me all my hopes and dreams!! Or my dream man!!!
और यही वो मुख्य कारण है कि मैं आजकल यहाँ अनुपस्थित सा ही हूँ । आप क्या सोचते हैं । लेख लिखने या

किसी को बचाने आशान्वित करने, दोनों में से क्या मत्वपूर्ण है ।
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किसी भी घटना, कोई भाव विशेष, कोई मर्मघाती बात, पूर्व जन्म के संस्कार, पूर्व जन्म की यात्रा ये सब व्यक्ति ( जीवात्मा ) का 50% खुद का सृजन योगदान होता है । शेष 50% ईश्वरीय व्यवस्था या तन्त्र करता है । जैसे भोजन ( 50% ) तो आप करते हैं । पर शरीर में उसके विभिन्न रस सार या मल ( 50% ) आदि क्रियायें शरीर तन्त्र करता है । अतः यदि विलक्षण जीवन यात्रा को सिर्फ़ इसी जीवन के नजरिये से न देखें । बल्कि अनन्त से देखें । तो इसमें आश्चर्य या चमत्कार जैसा कुछ नहीं । मैंने इसका वृत चित्र बहुत पहले देखा है । पर हम लोगों को सामान्य अध्ययन सामान्य नजरिये के बजाय हर चीज को रहस्यमय अन्दाज में देखने की आदत सी बन गयी है । राजीव कुलश्रेष्ठ
http://fractalenlightenment.com/943/enlightening-video/buddha-boy-with-divine-powers
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ब्रह्मा कुमारी मानते हैं - भारत में श्रीनगर से लेकर कन्याकुमारी तक । और बंगाल से लेकर बम्बई तक । इसी 

रूप की प्रतिमा मिलती है । जिसका न कोई मुख है । न कान हैं । न चरण हैं । न देह है । कहीं इसे विश्वनाथ, कही अमरनाथ, कही मुक्तेश्वर, और कही पापकटेश्वर भी कहते हैं । ये सब नाम सिद्ध करते हैं कि ये परमात्मा के रूप की ही प्रतिमायें हैं । साप्ताहिक पाठयक्रम पृ 42 ।
चिंतन - जब आप लोग कहते हो कि - परमात्मा निराकार है । और ज्योति बिंदु है । तो उसके रूप की प्रतिमायें कैसे हो सकती हैं ? आपने तो प्रतिमायें बताकर स्वयं के सिद्धांत का ही खंडन कर दिया | शिवलिंग के पीछे की पौराणिक कथा शायद आपको मालूम नहीं है । वह लिंग है । लिंग के न तो मुख, न कान, न चरण और न देह होता है । ब्रह्मा कुमारी और कुमारों एक बार शिव पुराण पढ़ना चाहिये । आप मानते हैं कि गीता का ज्ञान परमात्मा ने दिया । तो उसने उसमें तो ऐसा कहीं नहीं लिखा कि ये जो सारे लिंग हैं । ये मेरा ही रूप हैं । फिर आपने कैसे और किस आधार पर इन्हें परमात्मा का रूप बता दिया ? हमने 

ये विश्वनाथ, अमरनाथ सुना । पर यह पाप कटेश्वर ? नहीं सुना । क्या आप बता सकते हैं कि यह शिवलिंग भारत में कहाँ स्थित है ? जो निराकार है । ज्योति बिंदु है । उसकी जड़ प्रतिमा बन कैसे सकती है । इस पर भी प्रकाश डालें ? यह तो आपके सिद्धांत के विपरीत सिद्धांत है । आप तो लोगों को भ्रमित कर रहे हैं । एक और तो कहते हैं - निराकार है । ज्योति बिंदु है । और दूसरी और रूप वाला बना देते हो ।
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दोस्तो ! मेरे घर में तो गौ माता के गोबर से मैंने जो छोटा गोबर गैस प्लांट बनाया है । उससे चूल्हा जलता है । आप में से कितने भाईयों के घर पर शरू हो गया है । ये है - मेरा गोबर गैस प्लांट । जिसमें मैं आज सुबह गोबर को फीडिंग करता हुआ । और एक फोटो में गैस को ट्रेक्टर के बड़े टायर में स्टोर कर रखी है । और एक फोटो में चूल्हे से अग्नि जल रही है । अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें ।
मुकेश कुमार - 0 92159 59500

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