26 दिसंबर 2011

सम्मोहन आखिर क्या बला है ?


16 सम्मोहन शक्ति कैसे काम करती है ?
- सम्मोहन शक्ति का मूल मन्त्र है - त्राटक योग । और त्राटक का मूल मन्त्र है - एकाग्रता । अब जैसा कि हर चीज के ही दो रूप हो जाते हैं । एक सांसारिक रूप । और दूसरा वास्तविक और अलौकिक रूप । अब जैसे इंसान शरीर को ही लें । इसका सांसारिक स्थूल रूप । बाहरी आवरण । असलियत नहीं है । बल्कि हमारे आंतरिक व्यवहार की घट बढ का प्रतिविम्ब मात्र है । जबकि सूक्ष्म शरीर यानी अंतकरण में हर चीज असली है । उससे ऊपर की स्थिति प्राप्त न होने तक वह ही सदैव साथ रहता है । मरने के बाद । लाखों जन्म तक ।
आप बाह्य शरीर से अपने द्वारा बोले गये झूठ को पर्याप्त समय तक सच साबित कर सकते हो । पर अंतकरण उसे ज्यों का त्यों झूठ ही रिकार्ड करेगा । और आप भले ही अपनी झूठी तसल्ली के लिये दुनियाँ के सामने चिल्लाते रहो - ये बात ऐसे है ।
मगर अंतः शरीर उस सत्य के अनुसार ही क्रिया करके बाह्य शरीर और जीवन में अच्छा बुरा सटीक बदलाव लाना शुरू कर देगा । यहाँ केवल योग और योगियों की क्षमता है कि उसमें परिवर्तन कर सकें ।
इसलिये तमाम चीजों की तरह सम्मोहन के भी दो रूप हो जाते हैं । एक स्थूल यानी कामचलाऊ । और एक असली सटीक और पूर्ण विध्या । ध्यान रहे । असली सम्मोहन कोई मामूली चीज नहीं है । इसके भी जानकार बहुत कम हो पाते हैं । क्योंकि अच्छा योगी त्राटक पर ही नहीं रुक जाता । बल्कि उससे अगले अध्याय को सीखने लगता है ।


अब बात वहीं आ जाती है । ऐसी हर विधा द्वैत ज्ञान की कुण्डलिनी विधा के अंतर्गत ही आती है । और कुण्डलिनी अद्वैत में पूरी की पूरी लय होकर समा जाती है । यानी सरल शब्दों में कहा जाये । तो सम्मोहन विशेषज्ञ बनने के लिये भी कम से कम कुण्डलिनी ज्ञान चाहिये । या उसकी एक शाखा - त्राटक ।
लेकिन पहले बात इसके स्थूल यानी सांसारिक रूप की करते हैं । और आपको बङे सरल तरीके से समझाते हैं कि - सम्मोहन आखिर क्या बला है ?
एक प्रयोग करिये । एक 40 वाट का बल्ब अँधेरे स्थान में जलायें । अब इसे जलने दें । और 500 या 1000 वाट का बल्ब इसके पास ही जला दें । तो 40 वाट के बल्ब की रोशनी और प्रभाव एकदम फ़ीका हो गया ।
एक और प्रयोग करिये । पाँच छह लोगों में एक धनी और प्रभावशाली व्यक्ति बैठा हुआ है । सभी व्यर्थ ही उससे प्रभावित होते हैं । तभी उसी सभा में उससे  दस गुना धनी और प्रभावशाली व्यक्ति आ जाता है । तब पहले व्यक्ति का प्रभाव सम्मोहन स्वतः क्षीण हो जाता है । वास्तव में 40 वाट का बल्ब अब भी उतनी ही रोशनी दे रहा है । पहला व्यक्ति अब भी उतना ही धनी है । लेकिन अपने से बङी क्षमता वाले के आ जाने से प्रभावित हो गये । गौर करेंगे । तो दरअसल ये एक प्रकार का सम्मोहन प्रभाव ही हैं । नहीं तो कोई टाटा बिरला तुम्हें खीर खिलाने नहीं आता ।
जीवन में सम्मोहन का ये सटीक प्रयोग अत्यन्त छोटे दुधमुँहे बच्चों ( 1-2 साल )  पर आसानी से देखने को

मिलता है । जब वे अपने को देखने खिलाने वाले की अच्छी बुरी भावना से बनी नजर से शीघ्र प्रभावित हो जाते हैं । और उन्हें नजर लग जाती है । तब अक्सर उन्हें दस्त आदि होने लगते हैं । बुरी भावना से बनी नजर - पर खास ध्यान दें । बच्चा भावनात्मक स्तर पर अति कोमल है । और बेहद जटिल इंसान की कुटिल भावनायें अत्यन्त तीखी धार युक्त ।
और बच्चे का यही उदाहरण आजीवन चलता है । किसी सुन्दर स्त्री का सौन्दर्य । कलाकार की कला । विद्वान की विद्धता । किसी का उच्च पद । किसी की धनाढयता । किसी का शारीरिक बल आदि उससे निम्न स्तर वाले को सहज ही सम्मोहित करता है । वह चाहे अनचाहे उसके प्रभाव में आ ही जाता है । अब गौर करिये । सौन्दर्य । कला । विद्धता । पद । धन । बल इन सबका सम्बन्ध आंतरिकता से ही है । आंतरिक स्तर पर किसी गुण का मजबूत होना ।
इसी को किसी साधन साधना द्वारा विकसित करके । इस योग पर आंतरिकता पर पकङ हो जाना ही ज्ञान है । तब इसके विभिन्न तरीके और साधन हैं । त्राटक में किसी स्थिर बिन्दु । जलती लौ । जलते बल्ब । आकाश में तारे आदि जैसे माध्यमों पर एकाग्रता की जाती है । इस एकाग्रता की सबसे सफ़ल स्थिति है - आप उस स्थिर माध्यम को आगे पीछे गति देने में सफ़ल हो जायें । जापान में । मैंने टी वी शो में देखा है । बच्चे साधक तक एकाग्र दृष्टि से स्टील का चम्मच टेङा कर देते हैं ।
इसी आंतरिक एकाग्रता को सफ़लता से प्राप्त कर लेने के बाद इसकी प्राप्ति के % के अनुसार कार्य किया जा सकता है । ध्यान रहे । कोई शक्ति । कोई योग । कोई गुण । कोई प्रभाव अपने से नीचे वाले पर ही कार्य करेगा । कोई कुबेर किसी लखपति से कभी प्रभावित नहीं होगा ।

तब सम्मोहन शक्ति से विभिन्न कार्य होते हैं । आंतरिक स्तर से रोग ठीक करना । मानसिक विकार ठीक करना । रहस्य जानना आदि । गलत कार्यों में भी इच्छा अनुसार वैसा ही निर्देश दिया जाता है ।
अब इसके मूल तरीके मूल सिद्धांत पर बात करते हैं । किसी की चेतना को अपने अधिकार में लेकर प्रभाव में लेकर उसे इच्छा अनुसार गति देना । ध्यान रहे । आप एकाग्रता युक्त हैं । और अपनी तब सामर्थ्य अनुसार शक्ति युक्त भी हैं । जबकि माध्यम विचारों से बिखरा हुआ । और ऊर्जा क्षीण भी हैं । जैसे - शेर और मेमना । तब मेमने की विवशता है । शेर की मर्जी पर रहना ।
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पावर कट से लेख में व्यवधान । आगे जुङ सकता है ।

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सत्यसाहिब जी सहजसमाधि, राजयोग की प्रतिष्ठित संस्था सहज समाधि आश्रम बसेरा कालोनी, छटीकरा, वृन्दावन (उ. प्र) वाटस एप्प 82185 31326