02 मार्च 2011

आत्मा सो परमात्मा " इसका क्या अर्थ है ??

हम प्रसाद सेतिया हैं । प्रसाद कुमार सेतिया । हम कानपुर से हैं । हम भी आपका ब्लाग शौक से पढते हैं । बहुत खूब लिखते हैं आप । हम भी आपसे कुछ जानना चाहते हैं । कृपया बताने का कष्ट करें ।पहली बात ये निर्गुण सगुण का असली अर्थ क्या होता है ? कोई कहता है । परमात्मा सगुण हैं । पर कोई कहता है । परमात्मा निर्गुण है । कोई यह भी कह देता है । परमात्मा सगुण और निर्गुण दोनों ही है ।आप बतायें कि हम किसकी बात पर भरोसा करें ? दूसरी बात एक घटना हमारे साथ घटी । अभी कुछ दिन पहले । हमारी जान पहचान के एक डाक्टर साहब हैं । उनकी पत्नी बहुत धार्मिक विचारों वाली महिला हैं । कुछ दिन पहले सन्डे वाले दिन उसने घर में कीर्तन करवाया । कोई लोकल कीर्तन करने वाले थे । परन्तु उन कीर्तन करने वालों के साथ 1 बाबाजी भी थे । बात आगे बङाने से पहले हम आपको उन बाबाजी का थोङा सा परिचय देना उचित समझते हैं । वो बाबाजी अभी जवान ही हैं । ये हमको पता नही कि उन्होंने शादी की है कि नहीं ? वो अपने घर में ही रहते हैं । और ये मैंने सुना है कि बाबाजी के माता पिता भी उनके पाँव छूते हैं । अब परिचय से आगे बङते हैं । डाक्टर साहब के घर सन्डे को रात को आधा घन्टा कीर्तन हुआ । बाबाजी ने 15 मिनट परमात्मा की तारीफ़ की । और समाज को बचाने का संदेश दिया । उसके बाद खुद बाबाजी ने अपने हाथ से लोगों को भोजन परोसा । लोगों की गिनती 100 से भी शायद कम ही थी । मेरी पत्नी डाक्टर साहब की पत्नी की सहेली है । इसलिये हम लोग बाकी लोगों के जाने के बाद भी वहाँ रुके रहे । 3 या 4 परिवार और रुके हुये थे । फ़िर अन्दर शानदार बेडरूम में बेड पर बाबाजी अकेले ही बैठे थे । डाक्टर साहब की पत्नी उनको चाँदी के थाल में भोजन करवा रहीं थी । लेकिन वो वाला नहीं । जो हमको खिलाया गया । डाक्टर साहब की दो बेटियाँ बाबाजी के अगल बगल हाथ जोङे खङी थी । बेड के आसपास जमीन पर मैं अपनी पत्नी के साथ बैठा था । क्योंकि जो और तीन या चार परिवार रुके हुये थे । वो भी सब हमारे साथ जमीन पर ही बैठे थे । कोई बातचीत नहीं हो रही थी । बस सब हाथ जोङे बाबाजी को भोजन करते हुये देख रहे थे । बाबाजी बहुत धीरे धीरे भोजन कर रहे थे । पर फ़िर भी वो जवान हैं । तकरीबन 35 साल के शायद एन्ड हष्ट पुष्ट भी हैं । फ़िर अचानक हल्की फ़ुल्की बातों का ऐसा माहौल बना कि मेरे मन में विचार आया कि मैं बाबाजी से कोई ग्यान की बात जान लूँ । तो मैंने थोङा झिझकते हुये पूछा । बाबाजी मुझे एक सवाल पूछना है ।
उन्होंने बङे प्यार से कहा कि हाँ हाँ पूछिये ।मैंने कहा । बाबाजी ये जो मैं आपके सामने बैठा हूँ । ये मेरी फ़िजीकल बाडी है । और प्रसाद कुमार सिर्फ़ इस बाडी का नाम है । जिस दिन ये बाडी खत्म हो जायेगी । तब प्रसाद सेतिया भी खत्म । लेकिन इस बाडी के अन्दर जो आत्मा है । वो कहते हैं कि अमर है । और बार बार जन्म लेती है । तो फ़िर मेरी रियल सेल्फ़ real self क्या है ? क्या मैं ही आत्मा हूँ ?? तब बाबाजी ने पहले संस्कृत का एक श्लोक बोला । जो मेरी समझ में तो नहीं आया । फ़िर उन्होंने उस श्लोक का हिन्दी में ट्रान्सलेसन करते हुये कहा कि हाँ ये सही है । असली स्वरूप तो हम सबका आत्मा ही है । ये कहकर वो चुप हो गये । फ़िर मैंने पूछा कि ये आत्मा अनादि है ?? तब वो ये सुनकर मेरी तरफ़ देखने लगे । मैने साथ ही साथ कहा कि आदि तो उसको कहेंगे । जिसकी कभी न कभी शुरूआत हुयी हो । लेकिन अनादि वो जो सदा से ही है । मेरे इतना कहने पर आसपास जो लोग बैठे थे । वो तो बिलकुल ही चुप हो गये । और बाबाजी ने इस बात का कोई जबाब ना देकर ये कहा । ( हँसकर ) आप मुझे ये सब बातें फ़िर कभी करना । आज तो मैं अपनी दुकान बन्द करके आया हूँ । इसके बाद और इधर उधर की बातें शुरू हो गयी । थोङी देर बाद हम भी उठकर घर को आ गये । मैं आपसे ये पूछना चाहता हूँ कि मैंने उन बाबाजी से दो सवाल किये । पहले सवाल का उत्तर उन्होंने दे दिया । कृपया आप बतायें । क्या उनका उत्तर बिलकुल सही था ?? फ़िर दूसरे सवाल का उत्तर उन्होंने नहीं दिया । तो अगर दूसरा सवाल मैं आपसे करता । तो आप क्या उत्तर देते ? अगर वो दूसरे सवाल का जबाब दे देते । तो मैं उनसे तीसरा सवाल भी करता । वो तीसरा सवाल ये था कि आत्मा और परमात्मा का आपस मैं क्या सम्बन्ध है ?? सुनने मैं आता है कि " आत्मा सो परमात्मा " इसका क्या अर्थ है ?? और क्या आत्मा परमात्मा की संतान है ?? तो क्या परमात्मा वाले सारे गुण आत्मा में भी हैं ?? आपने बृह्मकुमारी नाम की संस्था के बारे में सुना होगा । वो लोग कहते हैं कि आत्मा का स्वरूप बिल्कुल एक दिव्य तारे ?? जैसा है । जैसे कोई अति सूक्ष्म दिव्य चाँदी जैसा प्रकाश । कृपया बतायें । क्या ये बात सही है ?? हमें आपकी उचित प्रतिक्रिया का इन्तजार रहेगा । प्रसाद कुमार सेतिया । कानपुर ।
** सेतिया जी आप से एक निवेदन है । इस पर तो बात करेंगे ही । आप कृपया अपने कम्प्यूटर में " बाराह हिन्दी पैड " BARAHA HINDI PAID मुफ़्त साफ़टवेयर डाउनलोड कर लें । इसके लिये आप गूगल सर्च में BARAH HINDI PAID टायप करें । और सही साईट सिलेक्ट करके ये साफ़टवेयर डाउनलोड कर लें ।
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इससे आपका " THEEK ISI TARAH.. ठीक इसी तरह " लिखा मैटर हिन्दी में बदल जायेगा । मतलव आप पेज में rajeev ye bataaiye लिखोगे । तो वह अपने आप बदलकर " राजीव ये बताईये " ही लिखेगा । क्योंकि हिन्दी बनाने में काफ़ी समय खराब होता है । और आपको सिर्फ़ उतना ही करना पङेगा । जितना आप करते हो । इस तरह उत्तर देने में शीघ्रता होगी । और दुगनी के बजाय मुझे आधी मेहनत करनी होगी । धन्यवाद । आपके प्रश्नों के उत्तर शीघ्र ही ।

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सत्यसाहिब जी सहजसमाधि, राजयोग की प्रतिष्ठित संस्था सहज समाधि आश्रम बसेरा कालोनी, छटीकरा, वृन्दावन (उ. प्र) वाटस एप्प 82185 31326