10 जनवरी 2011

BECAUSE..NOW..ALL IS NOT WELL..?? दूसरा भाग ।



P..ईशमूर्ति ।  ईशपुत्र ?? यीशु ख्रीष्ट । MY REACT..आप बेहद कनफ़्यूज मालूम होते हो । पहले तय कर लो । पिता है । या पुत्र है ??
P..प्रमुख हिन्दू पुराणों में से एक  भविष्यपुराण ( संभावित रचनाकाल 7वीं शताब्दी ईसवी ) के प्रतिसर्ग पर्व ।  भरतखंड में इस निश्कलंक देहधारी का स्पष्ट दर्शन वर्णन है ।  जिसका संक्षिप्तिकरण इस प्रकार है । MY REACT..यहां मैं थोडा आपसे सहमत हूं कि भविष्यपुराण में ईसामासीह । मुहम्मद साहब । बुद्ध आदि महान आत्माओं के बारे में भविष्यवाणी है । और जो सच भी है । लेकिन भविष्यपुराण प्रमुख हिंदू पुराण नहीं है । उसे सामान्य मान्यता ही प्राप्त है ।..और ये बात सच है कि ईसामसीह । मुहम्मद साहब । बुद्ध आदि ईश्वर के प्रतिनिधि थे । निमित्त थे । लेकिन जिस तरह आपने उन्हें आसमान पर चढा दिया ?? ऐसी कोई  बात नहीं थी । जिनको ये बात हजम न हो ?? वो हिंदुओं की अनपढों । अशिक्षित जैसी भाषा में लिखी सिर्फ़ एक तुलसीदास की  रामचरितमानस से बाइबिल और कुरआन की तुलना कर लें ।  रामचरितमानस  भी कुरआन और बाइबिल की तरह दिव्यवाणी है । और तुलसीदास पर उतरा था । वाल्मीकि पर  रामायण उतरी थी । अगर उससे अधिक दिव्य मैटर और ईश्वर की निकटता दर्शाने वाला ग्यान न मिले । तो मुझे  बोलना । फ़िर गीता और अन्य गृन्थों की बात ही क्या ? वो आप नहीं झेल पाओगे ।
P..मोक्षद्वार ?? कहते हैं  कि महाभारत धर्मयुद्ध के बाद । राजसूय यज्ञ सम्पन्न करके । पांचों पांडव  । महानिर्वाण प्राप्त करने को ?? अपनी जीवनयात्रा पूरी करते हुए । मोक्ष के लिये । हरिद्वार तीर्थ आये ?? गंगाजी के तट पर । हर की पैड़ी के । बृह्मकुण्ड में । स्नान के पश्चात । वे पर्वतराज हिमालय की सुरम्य कन्दराओं में चढ़ गये । ताकि मानव जीवन की एकमात्र चिरप्रतीक्षित अभिलाषा पूरी हो । और उन्हे किसी प्रकार मोक्ष मिल जाये ?? 
MY REACT..बस इतनी ही कथा मालूम है । आपको  ? अगर अक्ल के घोडे थोडा पीछे के इतिहास पर दौडाये होते । तो आपको पता होता कि जिन पांडवों के स्वयं पूर्णावतार भगवान श्रीकृष्ण रिश्तेदार थे । मामा के लडके थे । पूरी गीता जिन्हें सुनाई गयी । वे मोक्ष के लिये ? आपकी तरह हरिद्वार जाकर गंगाजी नहायेंगे । हा हा हा । वो हरिद्वार गये थे । पर वो हरि का द्वार अलग ही है । रामदेव बाबा वाला हरिद्वार नहीं है ?..आईये कुछ और दुर्लभ जानकारी बताऊं । आपको ।..हिमालय की पर्वत श्रंखला में । एक अति दुर्गम पर्वत पर । एक स्थान पर । स्वर्ग सीढी बनी हुयी है । इस सीढी का पहला पायदान ही काफ़ी बडा 
लम्बा और पन्द्रह फ़ुट ऊंचा है । इस सीढी का ऊपरी हिस्सा । आप सिर को एकदम आसमान की तरफ़ । देखने की तरह देखेंगे । तब दिखाइ देगा । पांडव इसी स्थान पर गये थे । पांडव..गौतम शापित इन्द्र का तेज पांच हिस्सों में विभक्त होकर पांडवों के रूप में सजा भुगतने आया था । उनकी ये सजा पांडव जीवन में भी पूरी नहीं हुयी । तब उन्होनें आल्हा ऊदल के रूप में अवतार लिया । आल्हा ऊदल भी अवतार थे ।
P..हरिद्वार तीर्थ के बृह्राकुण्ड पर । मोक्षप्राप्ति का स्नान ।  पांडवों को अनन्त जीवन के कैवल्य मार्ग तक पहुंचा पाया । अथवा नहीं । इसके भेद तो मुक्तिदाता परमेश्वर ही जानता है ?? 
MY REACT..लेकिन ईसामसीह को मानने वाले..अनन्त जीवन के कैवल्य मार्ग तक..चले गये । ये आपको खूब मालूम है ।  तभी सबको जोर शोर से बता रहे हैं ??
 P..तो भी श्रीमदभागवत का यह कथन चेतावनी सहित कितना सत्य कहता है । मानुषं लोकं मुक्तीद्वारम ।  अर्थात यही मनुष्य योनि हमारे मोक्ष का द्वार है ?? MY REACT..अब यहां आप श्रीमदभागवत की बात कहने लगे ।..श्रीमदभागवत ही नहीं तमाम हिंदू शास्त्र सदियों से यही चिल्ला रहे हैं कि मनुष्य शरीर में मुक्ति का दसवां गुप्त द्वार है । नौ द्वार कौन कौन से हैं ? आज जान ही लें । दो कान ( यहां से प्राणीनामा निकलने पर प्रेतयोनि ) । दो आंख ( कीट पतंगा योनि ) । दो नाक ( पक्षी योनि ) । एक मुख ( पशु योनि ) । एक लिंग या योनि ( जल में रहने वाले जीवों की योनि ) । एक गुदा ( नरक ) । हम इन्ही नौ द्वारों में बरताव करते हैं । इसलिये मृत्यु के समय यहीं से जाते हैं । दसवां मोक्षद्वार गुप्त है । जिसे संतो की चरणधूल मस्तक पर धारण करने वाले ही जान पाते हैं ।..हैरत की बात ये है कि ईसामसीह इस बात को जानते थे । मुहम्मद साहब जानते थे । पर उनके गीत गाने वाले आप लोग नहीं जानते । 
P..मोक्ष कितना आवश्यक ।  कैसा दुर्लभ ? MY REACT..पर आप ठीक से समझो तब ना ??
P..मोक्ष की वास्तविक प्राप्ति । मानव जीवन की सबसे बड़ी समस्या । तथा एकमात्र आवश्यकता है ?? MY REACT..सिर्फ़ यही बात बताने के लिये मैं इंटरनेट पर हूं । ब्लाग पढकर देख लो । बहुत मैटर उपलब्ध है ।
P.. विवेक चूड़ामणि में । इस विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा गया है । कि सर्वजीवों में मानव जन्म दुर्लभ है ।  उस पर भी पुरुष का जन्म । ब्राह्मण योनि का जन्म तो दुश्प्राय है ?? तथा इसमें दुर्लभ उसका । जो वैदिक धर्म में संलग्न हो ? इन सबसे भी दुर्लभ वह जन्म है । जिसको बृह्म परमेश्वर तथा पाप तथा तमोगुण के भेद पहचान कर मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मिल गया हो ।
MY REACT..यह बात जो आपने विवेक चूड़ामणि की लिखी है । एकदम सत्य है । पर आपने गौर से नहीं देखा । सभी शास्त्रों में लिखी है । सिर्फ़ विवेक चूड़ामणि में नहीं ?? 
P..मोक्ष प्राप्ति की दुर्लभता के विषय मे एक बड़ी रोचक कथा है । कोई एक जन मुक्ति का सहज मार्ग खोजते हुए । आदि शंकराचार्य के पास गया । गुरु ने कहा । जिसे मोक्ष के लिये परमेश्वर मे एकत्व प्राप्त करना है ।  वह निश्चय ही एक ऐसे मनुष्य के समान धीरजवन्त हो ?? जो महासमुद्र तट पर बैठकर । भूमि में एक गड्ढ़ा खोदे । फिर कुशा के एक तिनके द्वारा । समुद्र के जल की बूंदों को उठाकर । अपने खोदे हुए गड्ढे मे टपकाता रहे । शनैः शनैः जब वह मनुष्य सागर की सम्पूर्ण जलराशि इस भांति उस गड्ढे में भर लेगा ? तभी उसे मोक्ष मिल जायेगा ?? 
MY REACT..ऐसा धीरजवन्त एकाध मिला आपको ? या खुद आप इतने धीरजवन्त हो ??..मोक्ष का बेहद सरल । सहज और आसानी से प्राप्त । जिसको तीन साल के बच्चे से लेकर मरणासन्न बुजुर्ग तक कर ले । ऐसा अनादिकाल से चला आ रहा एक ही मार्ग । एक ही ग्यान है । जिसको सहज योग । सुरति शब्द योग कहते हैं । यही ईसामसीह ने किया था । यही मुहम्मद साहब ने किया था । इसमें किसी धीरज आदि की जरूरत नहीं है । बुद्ध ने बोध हो जाने के बाद इसी के लिये कहा था । हसिबा खेलिबा धरिबा ध्यानम । यानी हंसी खेल खेल में ध्यान करिये ।
P..मोक्ष की खोजयात्रा और प्राप्ति । आर्य ऋषियों । सन्तों ?? तपस्वियों की सारी पीढ़ियां मोक्ष की खोजी बनी रही ? वेदों से आरम्भ करके । वे उपनिषदों तथा अरण्यकों से होते हुऐ पुराणों और सगुण । निर्गुण ।  भक्तिमार्ग तक मोक्षप्राप्ति की निश्चल और सच्ची आत्मिक प्यास को लिये बढ़ते रहे । क्या कहीं वास्तविक मोक्ष की सुलभता दृष्टिगोचर होती है ? पापबन्ध मे जकड़ी मानवता से सनातन परमेश्वर का साक्षात्कार जैसे आंखमिचौली कर रहा है ??
 MY REACT..जिन ऋषियों । सन्तों ने ईसामसीह के । मुहम्मद साहब के बारे में । उनसे हजारों साल पहले ही बता दिया । उनका महत्व क्या है आपकी नजर में ?..और भगवान भी क्या सिर्फ़ ईसामसीह का ही इंतजार कर रहें थे । ऐसी क्या खास बात थी उनमें ? जैसे ईश्वर के पहले भी हजारों अनेक नुमाइन्दे आये । ईसामसीह भी उसी कडी का एक हिस्सा मात्र थे । यही बात मुहम्मद साहब की थी । और ईसामसीह कितनों का उद्धार कर गये ? कोई रिकार्ड छोड गये । आपके लिये या नहीं ।..बन्धन..मोक्ष का खेल सदा चलता रहा है । सदा चलता रहेगा । अपराधी अगर सुधर जायेगा । जेल से छोड दिया जायेगा । सुधरा हुआ । अपराध करेगा । जेल में डाल दिया जायेगा । यही बन्धन मोक्ष की कहानी है ??  
P..ईश मूर्तिह्न दि प्राप्ता नित्यशुद्धा शिवकारी । ईशामसीह इतिच मम नाम प्रतिष्ठतम । 
MY REACT..यहां जिस ईशामसीह का अर्थ आपने ईसामसीह  समझ लिया । वो दरअसल ये है कि मसीहा ( यानी कल्याणकारी भाव रखने के कारण भी । मुझ ईश्वर की प्रतिष्ठा ईशामसीह नाम द्वारा भी की जाती है । न कि ईसामसीह ? ईशा और ईसा में फ़र्क ही नहीं लगा आपको ? ) जैसे कोई विदेशी जिसे हिंदी बिलकुल न आती हो । पर एक शब्द कान और उसका मतलब जानता हो । और जब वह भारत आकर मकान दुकान शब्द सुने । तो मकान दुकान के कान तलाश करके उसका मैल निकालने की कोशिश करे । धर्म के मामले में ज्यादातर सभी ऐसा ही कर रहें हैं । 
P..अर्थात । जिस परमेश्वर का दर्शन । सनातन ? पवित्र । कल्याणकारी एवं मोक्षदायी है ।  जो ह्रदय मे निवास करता है ।  उसी का नाम ईसामसीह..???
MY REACT..नहीं ? बल्कि उसका एक नाम । एक प्रतिष्ठा ईशामसीह नाम से भी कही जाती है । कुछ समझे आप । P..अर्थात अभिषिक्त मुक्तिदाता प्रतिष्ठित किया गया । MY REACT..हां । लेकिन किसे ? फ़िर से बताऊं ? ईश्वर को ।
P..पुराण ने इस उद्धारकर्ता पूर्णवतार ? MY REACT..आप मुझे । दिखाओ किस पुराण में ईसामसीह को पूर्ण अवतार लिखा गया है । कहीं ये पुराण आपने ही तो नहीं लिखकर छपवा लिया ?? P..का वर्णन करते हुए । उसे पुरुष शुभम ( निश्पाप एवं P..परम पवित्र पुरुष ?? ) MY REACT..परम शब्द का ठीक मतलब जानते हो आप ? जो सबसे परे हो । P..बलवान राजा गौरांग श्वेतवस्त्रम ( प्रभुता से युक्त राजा ।  निर्मल देहवाला ।  श्वेत परिधान धारण किये हुए )
P..ईशपुत्र ( परमेश्वर का पुत्र ) MY REACT..अब यहां आप फ़िर से ईशपुत्र कहने लगे । ऊपर बाप था । अब बेटा बन गया । P..कुमारी गर्भ सम्भवम  ( कुमारी के गर्भ से जन्मा ) MY REACT..कुमारी गर्भ सम्भवम..ये बिलकुल सही है । लेकिन इसका अर्थ..कुमारी के गर्भ से जन्मा..नहीं । बल्कि ये है कि कोई भी संत आत्मा या महान आत्मा जब देह धारण करती है । तो उसे स्त्री पुरुष संभोग के द्वारा जन्म लेने की आवश्यकता नहीं होती । बल्कि वह कौमार्य सुरक्षित रखे । प्रकृति रूपक किसी युवती के गर्भ से बिना संभोग द्वारा ही आपने को प्रकट कर सकता है ?? बडा चकरघिन्नी खेल है । भाई । 
P..और सत्यवृत परायणम ( सत्यमार्ग का प्रतिपालक ) बताया है । मुक्तिदाता । प्रभु यीशु ख्राष्ट के । देहधारी परमेश्वरत्व की उदघोषणा । केवल भारत के आर्यग्रन्थ ही नही करते । अति प्राचीन यहूदी ग्रन्थ । पुराना नियम । प्रभु ख्राष्ट के । देहधारण से 700 वर्ष पूर्व साक्षी देता है । जिसमे कोई पाप नहीं था ।  ( यशायाह 53 9 ) ।  जो कुमारी से जन्मेगा । तथा उसका नाम इम्मानुएल अर्थात परमेश्वर हमारे साथ में रखा जायेगा । ( यषायाह 7 14 ) । 
इस्लाम भी अपने प्रमुख ग्रन्थ । कुरआन शरीफ के । सूरा ए मरियम खण्ड में । प्रभू यीशू ख्राष्ट को । P..रुह अल्लाह । ( आत्मरुप परमेश्वर का देहधारण ?? ) MY REACT..लेकिन..यहां इसका मतलब..आत्मरुप परमेश्वर का देहधारण   नहीं बल्कि..रूह अल्लाह..यानी अल्लाह की खास रूह या अल्लाह से जुडी रूह है । P..तथा उसकी कुमारी माता मरियम को । मनुष्यों के बीच सब नारियों मे परम पवित्र घोषित करते हैं ??
P..क्या शाश्वत और अद्वैत परमेश्वर देहधारी हुआ ?? MY REACT.. हां । हुआ ।और हुआ । तो सबमें हुआ । एक चींटी तक में वही हुआ । और नहीं हुआ । तो किसी में नहीं हुआ ।..यह तो बहुत छोटी सी बात है । अद्वैत..का ठीक मतलब जानते । तो ऐसी बात कभी नहीं कहते ? 
P..उसके प्रकट प्रमाण और चिन्ह क्या होंगे ??  शास्त्र उसके पहचान की कुछ विशेषतायें इस प्रकार बताते हैं । MY REACT..अपने आसपास की पूरी सृष्टि पर निगाह डाल लो । ये सब..उसके प्रकट प्रमाण और चिन्ह ही हैं । 
P..सनातन शब्द बृह्म । MY REACT..ऊपर लेख में देखें । सनातन शब्द बृह्म..क्या होता है ? P..तथा सृष्टीकर्ता  । सर्वज्ञ  । निष्पापदेही ।  सच्चिदानन्द । त्रिएक पिता ।  महान कर्मयोगी ।  सिद्ध बृह्मचारी ।  अलौकिक सन्यासी ।  जगत का पापवाही ।  यज्ञपुरुष ।  अद्वैत तथा अनुपम प्रीति करने वाला । परमेश्वर के पवित्र वचन । बाइबल के नया नियम में । देहधारी परमेश्वर की । P..ये सभी तथा अन्य अनेक विशेषतायें । प्रभू यीशू ख्राष्ट के । पतित पावन व्यक्तित्व में । सम्पूर्णता सहित उपस्थित तथा विस्तृत प्रमाणों द्वारा स्वयं सिद्ध है । MY REACT..ये सभी..सिद्ध है ????
P..मोक्ष ।  केवल यीशू ख्राष्ट में । MY REACT..गलतफ़हमी । वो भी 100% ।
P..परमेश्वर का पवित्र वचन । MY REACT..परमेश्वर का पवित्र वचन ??? P..प्रभु ख्राष्ट द्वारा प्रदत्त मोक्ष के विषय में इस प्रकार कहता है । पूर्व युग में परमेश्वर ने बाप दादो से ?? थोड़ा थोड़ा करके और भांति भांति से भविष्यवक्ताओं द्वारा बातें करके । इन दिनों के अन्त में हमसे पुत्र ( त्रिएक परमेश्वर का देहधारी स्वरुप प्रभु ख्राष्ट ) के द्वारा बातें की । P..जिसे उसने ( परमेश्वर )  सारी वस्तुओं का वारिस ठहराया । MY REACT..और बाकी सबको लावारिस ?? P.. और उसी के द्वारा उसने सारी सृष्टि रची है । MY REACT..ईसामसीह को काम पर लगा दिया । और खुद आलसी की तरह सोता रहा ?? हा हा हा । P..वह उसकी महिमा का प्रकाश और उसके तत्व की छाप है । मार्ग और सच्चाई और जीवन मै ही हूं । P.. बिना मेरे द्वारा कोई पिता ( परमेश्वर ) के पास । अर्थात स्वर्ग में ?? नही पहुंच सकता ? MY REACT.. परमेश्वर और वो भी स्वर्ग में..?? हा हा हा हा हा..लगता है । स्वर्ग से ज्यादा पढाई नही पढी । न आपने । न मुसलमानों ने । स्वर्ग..थू..थू..सौ बार थू..हजार बार थू..? P..अब जो ख्राष्ट यीशु मे है ।  उन पर दण्ड की ( पाप से उत्पन्न मृत्यु की ) आज्ञा नही है । क्योंकि पाप की मजदूरी मृत्यु है । परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभू ख्राष्ट यीशु में अनन्त जीवन है । इब्रानियो 1 । 1 । 3 ।  यहुन्ना 14 । 6 ।  रोमियो । 8 1 ।  6 
P..प्रिय मित्र ।  क्या आप मोक्ष मार्ग के राही हैं ? MY REACT..हैं तो भाई । सभी जाना चाहते हैं । आपकी बसें चल रही हैं । क्या मोक्ष हाईवे पर ?? P..क्या आपका प्राण सदा से जीवित परमेश्वर का प्यासा रहा है ? MY REACT..मरा परमेश्वर भी होता है । यह आज ही पता चला ? P..केवल प्रभु ख्राष्ट में आपके पापों से मुक्ति तथा परम शांति है । MY REACT..आप लोगों को प्राप्त हो गयी क्या ?? P..देहधारी परमेश्वर आपको इसी क्षण बुला रहा है । MY REACT..कहां आपके घर पर बैठा है । फ़ोन पर बात तो कराओ । P.. हे पृथ्वी के दूर दूर के देश के रहने वालो ।  तुम मेरी ओर फिरो । और उद्धार मोक्ष पाओ ?? MY REACT..लेकिन इसके लिये ईसाई बनने की आवश्यकता क्यों अनिवार्य है ? पहले इस सवाल का जबाब दो ? जब तुम किसी हिंदू संत के पास जाते हो । तो क्या वो कभी कहता है कि पहले हिंदू बनो । तब उद्धार करूंगा । आपके वाले उद्धार में भी जाति आरक्षण नियम लागू है क्या ? P..क्योंकि मै ही ईश्वर हूं ?? और दूसरा कोई और नही है ?? MY REACT..और मैं ही उसका पुत्र हूं ??? P.. जो कोई उस प्रभू यीशु ख्राष्ट पर विश्वास करे । वह नाश न होगा ? MY REACT..बाकी सब नाश हो जायेंगे क्या ?? P.. परन्तु अनन्त जीवन पायेगा ? MY REACT..एकाध ने पाया भी । या नहीं ?? यशायाह । 45 । 22 तथा यहुन्ना 3 । 16 । 
P..मुक्ति कहीं और नही ? केवल प्रभू ख्राष्ट में है । मुक्ति पाने के लिये । आप कमरे में जांय । घुटने टेककर यीशुमसीह से प्रार्थना करें । ह्रदय की गहराइयों से पुकार कर कहें । कि यीशु मेरे पापों को क्षमा कर ? आज से । मैं तुझे अपना जीवन समर्पित करता हूं । आप आज से मेरे प्रभू और उद्धारकर्ता हैं ? आज से मैं आपके बताये रास्ते पर चलूंगा । आप मुझे अपना दर्शन दें ? MY REACT..आपको यीशु के दर्शन मिले क्या ?? P..मै आपको देखना चाहता हूं । यीशुमसीह को पाना बहुत सरल है । यीशु आपके पास आयेंगे । आपको गले से लगा लेंगे ?? तब आपको एक बिलकुल नया अनुभव होगा । आपको ऐसी अलौकिक शांति मिलेगी । जिसका अनुभव बता पाना कठिन है । उसको वर्णन नही कर सकते हैं ।  MY REACT..ऐसे सिर्फ़ दस लोग  मुझे बताओ । जिनको ऊपर लिखी बात पूरी हुयी हो ?? P..और आपकी सारी बीमारियां भाग जायेंगी ?? MY RECT..बहुत से ईसाई लोग और ईसाई धर्म को मानने वालों की बीमारियां भाग गयीं क्या ? या किसी भी धर्म को मानने वालों की भागी हैं आज तक ?  ) P..सारी शैतानी शक्ति आपसे दूर चली जायेंगी ?? आप नये जन्मे बच्चे सा अनुभव करेंगे ?? MY REACT..तभी दुनियां में बहुत सुख शांति है । शैतान आपकी भारी जनसंख्या देखकर डर के मारे हमेशा के लिये प्रथ्वी से भाग गया ? शुक्रिया भाई । P..अभी तक आपने पढ़ा या सुना होगा । या किसी ने अपने ढ़ंग से बताया होगा । जो कि मात्र कपोल कल्पना है ??  MY REACT..और आप स्वर्ग से सीधा प्रसारण कर रहे हैं । बाकी सबकी कपोल कल्पना है ?? 
P..मगर यीशुमसीह को आप जानने के लिये ऊपर बताये गये नियम के द्वारा प्रक्टिकल कर सकते है ?? और अनन्त जीवन ?? जो कि इसी मनुष्य योनि मे है । प्राप्त कर सकते है । मानुशं लोकं मुक्तीद्वारम । अर्थात यही मनुष्य योनि हमारे मोक्ष का द्वार है ??
MY REACT..यह सत्य है । और इस सत्य को पाने के लिये किसी सच्चे संत या समय के सतगुरु के पास जाओ । यही कृष्ण । कबीर । ईसामसीह । मुहम्मद । मूसा आदि सबने कहा है । पर ..बेहद अफ़सोस..आपने कुछ का कुछ समझा ????
P..हमारी प्रार्थना है । कि परमेश्वर आपको इस विश्वास में स्थिर और सिद्ध करे ?  अश्रद्धा परम पापं श्रद्धा पापमोचिनी ।  महाभारत ।  शांतिपर्व ।  264 । 15 । 19 । अर्थात अविश्वासी होना महापाप है ।  लेकिन विश्वास पापों को मिटा देता है ।  MY REACT....और हमारी प्रार्थना है । प्रभु आपको सही बात समझने की सही बुद्धि दे । जो आप दूध का दूध पानी का पानी कर सको । 
पंडित धर्मप्रकाश शर्मा ।  गनाहेड़ा रोड ।  पो. पुष्कर तीर्थ ।  राजस्थान ।  305 022 । अधिक जानकारी के लिये लिखें ।  स्पीड द गुड न्यूज क्रूसेड । 3387 क्रिश्चियन कालोनी । करोल बाग ।  नई दिल्ली ।110005 

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